मेरे अकेले पन की हद.......$oni


अकेलेपन की हद थी !
मानसिक सन्नाटे में
पत्ते खड़खडाते थे
अनचाहे लोग जब बोलते
तो सिर्फ उनकी जुबान हिलती नज़र आती
कुछ सुनाई नहीं देता था ...

जंगल में भटकता मन
ख़ास फूलों की तलाश में
लहुलुहान होता गया ...
समझदारी ?
अकेला मन
कभी समझदार नहीं होता
हाँ भीड़ से अलग होता है !

पर क्या सारे अकेले मन
एक से होते हैं?


नहीं -
अकेला मन किसी का साथ चाहता है
अकेला मन शंकाओं से भयभीत होता है
अकेला मन शतरंज की बाज़ी खेलता है

पर भीड़ हो या अकेलापन
ज़िन्दगी रूकती कहाँ है
क़दमों के कुछ निशान काफी होते हैं
जीने के लिए
जैसे मेरे लिए -
ये निशान ही मेरी साँसें हैं !